जैन तत्त्वविद्या आचार्य माघनन्दि कृत शास्त्रसार समुच्चय की हिन्दी विवेचना का ललित अभिधान है । जैसा कि ग्रन्थ का नाम सूचित करता है , यह शास्त्रों के चारों अनुयोगों के सार का संग्रह है । ग्रन्थ चार अध्यायों में विभक्त है ।
VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
---|
जैन तत्त्वविद्या आचार्य माघनन्दि कृत शास्त्रसार समुच्चय की हिन्दी विवेचना का ललित अभिधान है । जैसा कि ग्रन्थ का नाम सूचित करता है , यह शास्त्रों के चारों अनुयोगों के सार का संग्रह है । ग्रन्थ चार अध्यायों में विभक्त है ।