दिव्य जीवन का द्वार
चेतना के विध्वंस और संस्कृति के दमन की इस अभिशप्त बेला में अपनी अस्मिता के प्रति बेखबर और संवेदनशून्य होते मनुष्य को थमकर, बैठकर और शांति से सोचने-विचारने का आत्मबोध देने वाले एवं मानवीय मूल्यों पर केन्द्रित प्रवचनों का महत्वपूर्ण संकलन। लगभग एक लाख प्रतियों के साथ पूज्य मुनिश्री की सर्वाधिक लोकप्रिय कृति।
PS07VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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दिव्य जीवन का द्वार
चेतना के विध्वंस और संस्कृति के दमन की इस अभिशप्त बेला में अपनी अस्मिता के प्रति बेखबर और संवेदनशून्य होते मनुष्य को थमकर, बैठकर और शांति से सोचने-विचारने का आत्मबोध देने वाले एवं मानवीय मूल्यों पर केन्द्रित प्रवचनों का महत्वपूर्ण संकलन। लगभग एक लाख प्रतियों के साथ पूज्य मुनिश्री की सर्वाधिक लोकप्रिय कृति।